Diya Jethwani

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वफ़ा ना रास आईं..... 💔 (4 )

अंकिता ने बताया की.....मेरे होने वाले पतिदेव अंकिता से ढेर सारी बातें करते हैं... बल्कि हफ्ते में एक फोन खास उससे बात करने के लिए करते हैं.... ये सुनकर मुझे थोड़ा अजीब भी लगा और थोड़ी भी तकलीफ हुई...।
 लेकिन फिर मैंने अपने आपको बचपन से सुनती आ रहीं इन बातों से की..   मुझ जैसी साधारण लड़की , बेवकूफ सी लगने वाली, मनहूस लड़की से.....कोई क्यूँ ही बात करेगा....।  ये सोच अपने आपको शांत कर लिया...। इतना तो मैं खुद भी जानती थीं की मुझमें ढेरों कमियाँ हैं...। पर कभी किसी ने मेरी कमियों का कारण जानने की कोशिश नहीं की...। 
 
सभी को मेरा साधारण रहना दिखता था.... पर कभी किसी ने उसके पीछे की वजह जानने की कोशिश नहीं की...। 

दरअसल......दीदी की शादी के बाद से ही मम्मी की सेहत बिगड़ने लगी थीं...। ऐसे वक्त में पापा ने मम्मी को संभालने की बजाय शराब की लत लगा ली थीं...। घर में खाने पीने के वांदे (कमी) हो गयें थे...। मम्मी के इलाज के पैसे भी नहीं थे...। ऐसे में मैंने सिलाई और ट्यूशन चालू कर दिया था...। उनकी आवक से घर का खर्च चल रहा था... पापा का कमाया सारा पैसा शराब और जूए में जा रहा था....। मैंने अपने सारे खर्चे बंद कर दिये थे.... दीदी के छोड़े हुए कपड़े पहनती थीं... यहाँ तक की गारमेंट्स भी उनके छोड़े हुवे इस्तेमाल करतीं थीं....। हर छोटी सी छोटी चीज़ उनकी इस्तेमाल करतीं थीं...। मम्मी के इलाज के लिए मैने अपनी इकलौती कानों में पहनी बाली बेच दी थीं...। यहां तक की मैंने खाना भी एक वक्त का छोड़ दिया था.... ताकि उससे भी थोड़ी बचत हो....। कभी खुद की पढ़ाई के लिए एक किताब भी नई नहीं खरीदी थीं.... पुरानी इस्तेमाल की हुई किताबों को आधे भाव पर खरीद कर मैं पढ़ाई कर रहीं थीं....। हमारे घर के पास में ही एक कबाड़ी की बहुत बड़ी दुकान थीं....। वहां से चुन चुनकर मैं आधी छोड़ी हुई पेन, कापी और पेंसिले लाया करती थीं....। जो शायद किसी को पता नहीं था....। हजारों तरह के खानपान मिलते हैं बाजारों में.... लेकिन मैं चाहकर भी कभी खुद के लिए कुछ नहीं लाती थीं...। 

पड़ोस में और चाचियों को जब हमारी आर्थिक हालत का पता चला तो वो इस बात का फायदा उठाकर मुझसे एक रुपये और दो रुपये में अपने घर का और बाजार का सारा काम करवाते थे....। मैं उन रुपयों के लिए आधी रात को उठ खड़ी हो जाती थीं.... जिसके बारे में भी कभी किसी को पता नहीं चला....। ऐसे में मेकअप ,फैशन और सजना संवरना क्या ही करतीं....। 


लेकिन मुझे इन सब का कोई पछतावा नहीं हैं.... मैं तो सिर्फ इतना चाहतीं थीं की मम्मी ठीक हो जाए....और ऐसा  हुआ भी.... धीरे धीरे ही सही मम्मी की तबियत ठीक होने लगी...। लेकिन मेरा साधारण रहना सभी को इतना खटकेगा.... ये नहीं पता था....। 

मैं इतना तो सगाई के वक्त ही समझ गए ई थीं की.... ये सगाई किसी मजबूरी या दहेज की लालच में की जा रही हैं...।लेकिन ये नहीं जानती थीं मेरे होने वाले पतिदेव अंकिता से् इतनी बातें करते हैं.... । 

खैर हर बात की तरह मैंने इसको भी इग्नोर कर दिया....। हमारी सगाई को अब एक साल होने को आया था....। मेरा द्वितीय वर्ष भी पूर्ण होने को था....। लेकिन उनकी तरफ़ से अभी तक शादी के लिए हर बार टालमटोल ही हो रहीं थीं....। मम्मी के बार बार कहने पर भी पता नहीं क्यूँ..... हर बार.. टाला  जा रहा था....। इस बात से मम्मी को थोड़ी चिंता होने लगी थीं....। दर असल मम्मी को डर था की मेरे ऐसे रुपरंग की वजह से वो लोग रिश्ता ना तोड़ दे....। ये चिंता मम्मी को खाए जा रहीं थीं... आखिरकार एक दिन मैंने हिम्मत करके बात करने की सोची...। लेकिन किससे पूछूँ.... ये उलझन थीं...। बहुत विचार करने के बाद मैंने मेरी जेठानी से पूछना बेहतर समझा.... क्योंकि उनके अलावा वहाँ बाकी सभी मुझसे बहुत ही रौब और अकड़ से बात करते थे...। उनसे बात करके जो पता चला...... उसने मुझे कुछ सोचने पर फिर से मजबूर कर दिया....। 

बात ये थीं की मेरे ससुराल वाले अपने बेटे की और बेटी की... यानि मेरी ननद की शादी साथ में करना चाहते थे.... इससे शादी पर होने वाले खर्च में कटौती होतीं... एक ही खर्च में दो शादियां...। 

कितना अजीब लगता हैं ना... यहाँ दहेज की रकम में मेरी मम्मी के इतना बोलने के बाद भी एक रुपया कम नहीं किया गया.... और वहां खुद का खर्च बचाने के लिए बेटे को सगाई करवा कर तब तक बिठाए रखने को तैयार थे... जब तक बेटी का रिश्ता तय नहीं हो जाता....। 

खैर इन सबसे मै तो खुश ही थीं.... क्योंकि सगाई से पहले और सगाई के बाद.... मेरी जिंदगी में कोई खास फर्क नहीं आया था... सिवाय इसके की अब मुझे महीने में दो बार ना चाहते हुए भी एसटीडी बुथ पर जाना पड़ता था.... और अंकिता के घर के चक्कर थोडे़ ज्यादा लगने लगे थे....। 




क्या मेरी जिंदगी में कुछ बदलाव आएगा..? 
जानने के लिए इंतजार करें अगले भाग का...। 

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4 Comments

Shnaya

17-Feb-2024 10:44 PM

Nice one

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Mohammed urooj khan

15-Feb-2024 01:15 AM

बहुत सुंदर भाग mam, 👌🏾👌🏾👌🏾

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Sushi saxena

14-Feb-2024 06:16 PM

Very nice

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